प्रगतिशील साहित्य मासिक पत्रिका नए रचनाकारो को अवसर देने के लिए शुरू की गयी है |हर अंक का अपना विषय होता है जैसे कि-सितम्बर का विषय था-देशभक्ति और राजनीति,उसके बाद -नैतिकता के राम
और भ्रष्टाचार का रावण ,आस्था और सत्य ,मानव मूल्य और मानव अधिकार तथा जनवरी१४ का भाग्य और कर्म | अभी तक पांच अंक प्रकाशित हो चुके हैं |फरवरी १४ अंक प्रेम पर केंद्रित है |
हर अंक में एक व्यंग्य,२-३ कहानियां,दो-चार कविताएं,कैरियर,स्वास्थ्य,फ़िल्म-टी.वी.आदि पर सामग्री होती है |इन दिनों -स्तम्भ के अंतर्गत एक पृष्ठ में संक्षिप्त
समाचार दिए जाते हैं |अध्यात्म स्तम्भ के दो पृष्ठों में निरंकारी बाबा जी के विचार दिए जाते हैं |
पांच महीनो की इस संक्षिप्त अवधि में भारत के बारह से ज्यादा राज्यो में पत्रिका के नियमित पाठक उपलब्ध हो चुके हैं |
हम इस अभियान को और आगे ले जाना चाहते हैं ताकि नयी प्रतिभाओं को अवसर मिल सके |आप इस अभियान में हमारे सहयोगी बने ताकि प्रगतिशील साहित्य युवाओं का विशाल रचनात्मक आंदोलन बन
सके |